Vidyut Dhara Ka Rasayanik Prabhav: विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव: यह पाठ कक्षा 8 की विज्ञान पुस्तक से ली गयी है। परीक्षा के लिए सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का समाधान दी गयी है। उत्तर लिखने में सत्यता के लिए सावधानी बरती गयी है। यदि फिर भी कोई कमी रह जाती है तो आप इसकी जानकारी हमें दे सकते है।
हमारी सहायता समूह जल्द ही त्रुटि को दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे। चलिए प्रश्नों का सिलसिला शुरू करते है।
प्रश्न 1. चे दिये गये सही विकल्प के आगे (√)निशान लगाइए।
प्रश्न 2. खली स्थाओं को भारीय: विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव कक्षा 8
(1)विधुत चालन करने वाले अधिकांश द्रव , तथा विलयन होते हैं।
(11)किसी विलयन से विधुत धारा प्रवाहित होने पर रसायनिक प्रभाव उत्पन्न होता है।
(111)LED विधुत धारा प्रावाहित होने पर भी दीप्त होता है।
(1V)यदि कॉपर सल्फेट विलयन से विधुत धारा प्रभावि की जाए तो कॉपर बैटरी के टर्मिनल से संयोजित प्लेट पर निक्षेपित होती है। पर
(V)विधुत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर ईच्छित धातु की परत विक्षेपित करने की प्रक्रिया को कहते हैं।
उत्तर यहाँ देखें:-
(1)अम्लों,क्षारकों, लवणों
(11)रसायनिक
(111)दुर्बल
(1V)ऋणात्मक
(V)विधुत लेपन
3.क्या शुध्द जल विधुत का चलन करते है? यदि नहीं तो इसे चालक बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं।Ans- शुध्द जल या आसुत जल या सीधे संगृहित किया गया वर्षा का लवणों से मुक्त होने के कारण विधुत का कुचालक होता है अर्थात विधुत का चालन नहीं करता अर्थात इसका विधुत धारा प्रवाहित नहीं होती है। शुध्द जल को चालक बनाने के लिए इसमें एक चुटकी नमक मिला देंगे।
4.जब किसी संपरीक्षित के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते है तो चूंबकीय सुई विक्षेपित होती है। क्या आप ऐसा होने के कारण व्याख्या कर सकते है।
Ans- जब किसी संपरीक्षित या (Tester)के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डूबोते हैं तो विधुत परिपथ पूर्ण हो जाता है जिससे चालक तारों से विधुत धारा बहने लगाती है। और चालक के चारों और चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण चुम्बकीय सुई विक्षेपन हो जाती है।
5.किसी धातु पर ईच्छित धातु का परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
Ans- विधुत धारा की सहायता से किसी धातु के सतह पर ईच्छित धातु को निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विधुत लेपन कहते हैं।
6. आग लगने पर, फायरमैन पानी का उपयोग करने से पूर्व उस क्षेत्र के मुख्य विधुत आपूर्ति बंद कर देते है। ऐसा क्यों करते है? इसकी व्याख्या कीजिये।
उत्तर: आग को बुझाने के लिए साधारण जल का उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि यह विधुत का सुचला होता है जिसके कारन आग और फ़ैल सकती है या आग बुझाने वालों को करंट लग सकता है। ऐसा करने से जान माल की क्षति हो सकती है।
7.तटीय क्षेत्र में रहने वाला एक बालक अपने संपरीक्षित्र से पीने के पानी तथा समुन्द्र के पानी का परीक्षण करता है। वह देखता है कि समुन्द्र के पानी के लिए चुंबकीय सुई अधिक विक्षेप दर्शाती है। क्या आप इसके कारण की व्याख्या कर सकते हैं। पानी और समुन्द्र का।
Ans- पीने का पानी और समुन्द्र का पानी दोनों के सुचालक है परंतु संमुद्र के पानी में पीने के पानी की अपेक्षा खनिज लवणों की मात्रा अधिक होती है इसलिए संमुद्र का पानी पीने के पानी की अपेक्षा विधुत का अच्छा चालक है। इस कारण संपरीक्षित्र से परिक्षण करने पर संमुद्र के पानी के लिए चुंबकीय सुई अधिक विक्षिपत दर्शाती है।
8.क्या तेज वर्षा के समय किसी लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के विधुत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित होता है? व्याख्या किजिए-
Ans- नहीं क्योंकि वैसे तो वर्षा का जल विधुत का कुचालक होता है परंतु सड़क के जल साथ मिलकर यह भी सुचालक बन जाता है। बाहरी मुख्य लाइन के विधुत तारों में विधुत रिसाव या चिंगारी उत्पान्न होने पर लाइन मेन को करंट लग सकता है या जान की क्षति हो सकती है।
9. आघातवर्धनीयता क्या है?
उत्तर: धातुओं का वह गुण जिसके कारन उन्हें पीटकर शीट में परिवर्तित किया जा सकता है, आघातवर्धनीयता कहलाता है। यह किस धाधु का अभिलाक्षिणक गुण होता है।
10. तन्यता क्या है?
उत्तर: धातुओं का वह गुण जिसके कारन उसे खिंच कर तारों में परिवर्तित किया जा सकता है, तन्यता कहलाता है।
11. धातु किसे कहते है?
उत्तर: ऐसे पदार्थ जो कठोर, चमकीलें, आघातवर्ध, तन्य, ध्वानिक और ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं, धातु कहलाते है। जैसे- आयरन, कॉपर, एल्मुनियम, केल्सियम, मैग्नीशियम इत्यादि।
12. अधातु किसे कहते है?
उत्तर: अधातु धातु के विपरीत गुण वाले पदार्थ को कहते है। ये नरम होते है और दिखने में मलिन होते है। ये हथोड़े के चोट से टूट कर चूर हो जाते है। ये ध्वानिक नहीं है और ऊष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते है। इसके उदहारण है- सल्फर, कार्बन, ऑक्सीजन, फास्फोरस इत्यादि।
13. धातु और अधातु में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: धातु और अधातु में निम्नलिखित अन्तर होते है:
(a ) धातुओं में चमक होती है जबकि अधातुओं में चमक नहीं होती है।
(b ) धातु आघातवर्धनीय और तन्य होतें है, अधातु नहीं होतें।
(c ) धातु ऊष्मा और विधुत के सुचालक होते है परन्तु अधातु नहीं होते है।
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