History Class 10 Chapter 1: यूरप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर: इस पाठ को NCERT और JCERT पुस्तक के सहायता से तैयार किया गया है। यदि आप झारखण्ड अधिविद्य परिषद् रांची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम के आधार पर बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तो हमारा नोट्स अपेक लिए एक अच्छा चुनाव है। अन्य बोर्ड के विद्यार्थी भी इसका उयोग कर सकते है यदि अध्याय आपके पाठ्यक्रम से मिलती हो तो।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 महत्वपूर्ण तथ्य:
18वीं सदी में जर्मनी, इटली तथा स्विट्ज़रलैंड आदि छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित थे तथा इन राज्यों में स्वतंत्र शासक हुआ करते थे। फ़्रांस के सम्पूर्ण भू-भाग पर एक निरंकुश राजा का शासन हुआ करता था। 1789 में रुसी क्रांति हुयी जिसमे राष्ट्रवाद की पहली झलक देखने को मिली। इस क्रांति ने राजतंत्र को समाप्त कर दिया।
1804 की नेपोलियन संहिता: इस संहिता हो नेपोलियन द्वारा 1804 में लागु किया गया था। इस संहिता की विशेता यह थी की जन्म पे आधारित मिलाने वाली विशेषाधिकार को समाप्त किया, न्यायालय के समक्ष समानता स्थापित किया तथा संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित किया।
प्रजातंत्र की झलक: फ़्रांस में केवल धनि पुरुषों को वोट डालने का अधिकार प्राप्त था। संपत्तिहीन पुरुषो और महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। जैकोबिन शासक के समय सभी व्यस्क पुरुषों को मताधिकार प्राप्त था, लेकिन नेपोलियन संहिता ने पुनः सिमित मताधिकार बहाल कर दी और महिलाओं को अवयस्क करार देते हुए उन्हें पिताओं और पतियों के अधीन कर दिया।
वियना कांग्रेस: 1815 में ब्रिटेन, प्रशा, रूस और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों के प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए वियना में इकठ्ठा हुए जिसकी अध्यक्षता ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मेटरनिख ने की थी।
1861 में इमेनुएल द्वितीय को इटली का राजा तथा वर्साय के एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जनवरी 1871 में जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया था।
राष्ट्रवाद में महिलाओं की भूमिका: सभी यूरोपीय राज्यों जैसे फ़्रांस तथा इटली के महिलों ने भी राष्ट्रवादी आंदोलन में बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया। महिलाओं ने अपने समाचार पत्र शुरू किए, अनेक स्वतंत्र राजनीतिक संगठन बनायें और प्रदर्शन में भी भाग लिया। इसके बावजूद भी उन्हें असेम्बली के चुनाव में वोट का अधिकार नहीं मिला।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर:
प्रश्न: कुलीन वर्ग कौन थे?
उत्तर: कुलीन वर्ग यूरोपीय महाद्वीप के सबसे शक्तिशाली वर्ग थे। इनके पास खुद की संपतियां होती थी तथा ये बड़े भू-संपत्तियों के मालिक होते थे। सत्ता में इनका भी प्रभुत्व होता था।
उत्तर: कुलीन वर्ग यूरोपीय महाद्वीप के सबसे शक्तिशाली वर्ग थे। इनके पास खुद की संपतियां होती थी तथा ये बड़े भू-संपत्तियों के मालिक होते थे। सत्ता में इनका भी प्रभुत्व होता था।
प्रश्न: निरंकुशवाद से आप क्या समझते है?
उत्तर: निरंकुशवाद का अर्थ है एक ऐसी सरकार जिस पर कोई अंकुश न हो। ये सेनाओं के केंद्रीयकृत बल पर शासन करती है। ऐसी सरकार के नीति निर्माण में प्रजा की कोई भूमिका नहीं होती है। इसमें जनताओं के शोषण की संभावन अधिक होती है।
उत्तर: निरंकुशवाद का अर्थ है एक ऐसी सरकार जिस पर कोई अंकुश न हो। ये सेनाओं के केंद्रीयकृत बल पर शासन करती है। ऐसी सरकार के नीति निर्माण में प्रजा की कोई भूमिका नहीं होती है। इसमें जनताओं के शोषण की संभावन अधिक होती है।
प्रश्न: उदारवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर: उदारवाद Liberalism शब्द का हिंदी रूपांतर है। इसकी उत्पत्ति लातिनी भाषा के मूल शब्द Liber से हुयी है, जिसका अर्थ है स्वतंत्रता। नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अभिप्राय था व्यक्ति के लिए आजादी व कानून के समक्ष समानता।
उत्तर: उदारवाद Liberalism शब्द का हिंदी रूपांतर है। इसकी उत्पत्ति लातिनी भाषा के मूल शब्द Liber से हुयी है, जिसका अर्थ है स्वतंत्रता। नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अभिप्राय था व्यक्ति के लिए आजादी व कानून के समक्ष समानता।
प्रश्न: नारीवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर: स्त्री-पुरुष को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोंच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध नारीवाद कहलाता है। शुरुआती काल से ही नारियों को सभी अधिकारों से वंचित रखा गया है। नारियों की हितो एवं अधिकारों की रक्षा का झलक नारीवाद में प्रतीत होती है।
उत्तर: स्त्री-पुरुष को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोंच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध नारीवाद कहलाता है। शुरुआती काल से ही नारियों को सभी अधिकारों से वंचित रखा गया है। नारियों की हितो एवं अधिकारों की रक्षा का झलक नारीवाद में प्रतीत होती है।
प्रश्न: बिस्मार्क कौन था?
उत्तर: बिस्मार्क को जर्मनी के इतिहास में अद्वितीय स्थान प्राप्त है। उसने जर्मनी के एकीकरण के लिए 'रक्त तथा लौह की नीति अपनायी। उसके निरंतर प्रयासों से ही जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ।
उत्तर: बिस्मार्क को जर्मनी के इतिहास में अद्वितीय स्थान प्राप्त है। उसने जर्मनी के एकीकरण के लिए 'रक्त तथा लौह की नीति अपनायी। उसके निरंतर प्रयासों से ही जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ।
प्रश्न: यूटोपिया या कल्पनादर्श का क्या अर्थ है?
उत्तर: एक ऐसे समाज राष्ट्र की कल्पना करना जो इतना आदर्श है की उसका साकार होना लगभग असंभव होता है, यूटोपिया या कल्पनादर्श कहलाता है।
उत्तर: एक ऐसे समाज राष्ट्र की कल्पना करना जो इतना आदर्श है की उसका साकार होना लगभग असंभव होता है, यूटोपिया या कल्पनादर्श कहलाता है।
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर: जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया विलियम प्रथम के प्रशा के सिंहासन में असिन होने से होता है। उसने बिस्मार्क को अपना प्रधान मंत्री बनाया था। बिस्मार्क ने नहीं जर्मनी के एकीकरण की भूमिका तैयार की थी जो वियना कांग्रेस के बाद जोर पड़ने लगा। इस संधि के अनुसार सबसे पहले जर्मनी को 30 राज्यों के संघ में बदला गया। 1848 के क्रांति के दौरान फ्रैंकफर्ट ने जर्मनी को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया। एकीकरण में कई सारे बढ़ाएं उत्पन्न हुयी जिसे बिस्मार्क ने दूर किया। वह जर्मनी का प्रधानमंत्री 1862 में बना। उसने जर्मनी के सैन्य शक्ति को मजबूत और ऑस्ट्रिया को अपना मित्र बनाया। दोनों मिलकर डेनमार्क से युद्ध किया फिर आड़ में 1866 में ऑस्ट्रिया से युद्ध किया। जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया बहुत बड़ी बाधा थी। इसे सोडोवा में पराजित कर के में नदी के उत्तर में स्थित सभी जर्मन रियासतों को मिला कर 'उत्तरी जर्मन' राज्य की स्थापना की। 1967 में मकेलनबर्ग और सैक्सनी को भी अपने राज्य में सम्मिलत किया। 1871 में फ़्रांस को पराजित किया और उसके बाद जर्मनी के दक्षिण राज्य बवेरिया, वाडेन आदि को अपने साम्राज्य मिला कर जर्मनी साम्राज्य का एकीकरण किया गया और फिर प्रशा के राजा को इसका सम्राट घोसित कर दिया।
उत्तर: जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया विलियम प्रथम के प्रशा के सिंहासन में असिन होने से होता है। उसने बिस्मार्क को अपना प्रधान मंत्री बनाया था। बिस्मार्क ने नहीं जर्मनी के एकीकरण की भूमिका तैयार की थी जो वियना कांग्रेस के बाद जोर पड़ने लगा। इस संधि के अनुसार सबसे पहले जर्मनी को 30 राज्यों के संघ में बदला गया। 1848 के क्रांति के दौरान फ्रैंकफर्ट ने जर्मनी को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया। एकीकरण में कई सारे बढ़ाएं उत्पन्न हुयी जिसे बिस्मार्क ने दूर किया। वह जर्मनी का प्रधानमंत्री 1862 में बना। उसने जर्मनी के सैन्य शक्ति को मजबूत और ऑस्ट्रिया को अपना मित्र बनाया। दोनों मिलकर डेनमार्क से युद्ध किया फिर आड़ में 1866 में ऑस्ट्रिया से युद्ध किया। जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया बहुत बड़ी बाधा थी। इसे सोडोवा में पराजित कर के में नदी के उत्तर में स्थित सभी जर्मन रियासतों को मिला कर 'उत्तरी जर्मन' राज्य की स्थापना की। 1967 में मकेलनबर्ग और सैक्सनी को भी अपने राज्य में सम्मिलत किया। 1871 में फ़्रांस को पराजित किया और उसके बाद जर्मनी के दक्षिण राज्य बवेरिया, वाडेन आदि को अपने साम्राज्य मिला कर जर्मनी साम्राज्य का एकीकरण किया गया और फिर प्रशा के राजा को इसका सम्राट घोसित कर दिया।
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