History Class 10 Chapter 4 Questions Answers In Hindi

History Class 10 Chapter 4: औद्योगीकरण का युग इसिहास कक्षा 10 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर। ये सभी प्रश्न वार्षिक परीक्षा के  लिए अति महत्वपूर्ण है। वार्षिक परीक्षा में शामिल होने से पहले इन प्रश्नों की तैयारी कर लें।

History Class 10 Chapter 4 Questions Answers In Hindi


औद्योगीकरण का युग महत्वपूर्ण लघु प्रश्नोत्तर।

प्रश्न: स्पिनिंग जेनी क्या है?
उत्तर: स्पिनिंग जेनी एक धागा बनाने वाली मशीन है जो 1764 में जेम्स हर्ग्रीव्ज के द्वारा बनायीं गयी थी। इस मशीन से धागा कताई की प्रक्रिया बहुत अधिक तेज कर दी जी कारन मजदूरों की माँग घट गयी। एक ही पहिया घुमाने वाला मजदुर बहुत सारी तकलियों को घुमा लेता था और एक साथ कई धागे बनाने लगते थे।


प्रश्न: फ्लाई शटल क्या है?
उत्तर: यह एक यन्त्र है जिसका इस्तेमाल बुनाई के लिए किया जाता है। इसे चलाने के लिए रस्सियों और पुलियों का प्रयोग किया जाता है। यह क्षैतिज धागे को लम्बवत धागे में पिरो देती है। इस यंत्र के अविष्कार से बुनकरों को बड़े करघे चलना और चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में काफी मदद मिली। 


प्रश्न: पूर्व औद्योगीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर: यूरोप में बड़े-बड़े कारखानों के स्थापना के पूर्व भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन बड़े कारखानों में न होकर ग्रामों में ग्रामीण कारीगरों द्वारा किया जाता था। इन पर सौदागर नियंत्रण रखते थे। इसे ही पूर्व औद्योगीकरण के नाम से जाना जाता है। 


प्रश्न: जमशेदजी जीजीभोये कौन थे?
उत्तर: जमशेदजी जीजीभोये एक पारसी बुनकर के बेटे थे। अपने समय में बहुत  से लोगों की तरह उसने भी चीन के साथ व्यापर जहाजरानी का किया था। उसके पास जहाजों का एक विशाल बेड़ा था। अंग्रेजों और अमेरिकी जहाज कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा के कारन 1950 दशक तक उन्हें सारे जहाज बेचने पड़ें। 


प्रश्न: 19वीं सदी में एकाएक कैसे शहरी हस्त उद्योग बुरी तरह से समाप्त हो गए?
उत्तर: अंग्रजों ने बहुत से मशीनों द्वारा निर्मित माल भारत लाये थे। ब्रिटिश माल गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता था तथा आकर्षक तथा सस्ता था। भारतीय हस्त कला उसके आगे नहीं ठहर सकती थी। इसी कारन भारतीय हस्त उद्योग पतन की और चला गया। 


प्रश्न:सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। व्याख्या करें।
उत्तर: सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। उन्होंने ऐसा निम्नांकित कारणों से किया-

(क) उस समय विश्व-व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारणचीजों की माँग बढ़ने लगी थी, इसलिए उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे। परन्तु शहरों में रहकर ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघों और व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।

(ख) गाँवों में गरीब काश्तकार और दस्तकार सौदागरों के लिए काम करने लगे। इस समय काम चलाने के लिए छोटे किसान और गरीब किसान आमदनी के लिए नए स्रोत ढूँढ़ रहे थे। गाँवों में बहुत से किसानों के पार छोटे-मोटे खेत थे। लेकिन उनसे परिवार के सभी लोगों का भरण-पोषण नहीं हो सकता था।

(ग) शहरों के यूरोपीय सौदागर जब गाँवों में आए और उन्होंने माल पैदा करने के लिए पेशगी रकम दी तो किसान और कारीगर काम करने के लिए फौरन तैयार हो गए। ये लोग गाँव में रहकर अपने खेतों को सँभालते हुए, सौदागरों का काम भी कर लेते थे।

(घ) इस व्यवस्था से शहरों और गाँवों के बीच एक घनिष्ठ संबंध विकसित हुआ। सौदागर शहरों में रहते थे लेकिन उनके लिए काम ज्यादातर देहात में चलता था। चीजों का उत्पादन कारखानों के बजाय घरों में होता था और उस पर सौदागरों का पूर्ण नियंत्रण होता था।


प्रश्न: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाशतों को नियुक्त किया था। व्याख्या करें।
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौपे गए।

(क) वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और व्यापारी को अपना माल तैयार करके न दे सके।

(ख) वे ही बुनकरों से तैयार किए हुए माल को इकट्ठा करते थे।

(ग) वे बने हुए सामान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।


प्रश्न: पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर: 
पूर्व-औद्योगीकरण से हमारा अभिप्राय उन उद्योगों से है जो फैक्ट्रियों लगाने से पहले पनप रहे थे। अभी जब इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ शुरू नहीं हुई थीं तब भी वहाँ अंतर्राष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिए बहुत-सा माल बनता था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था परन्तु घर-घर में हाथों से माल तैयार होता था और वह भी काफी मात्रा में। बहुत से इतिहासकार फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले की औद्योगिक गतिविधियों को पूर्व-औद्योगीकरण के नाम से पुकारते हैं। शहरों में अनेक व्यापारिक गिल्ड्स थीं जो विभिन्न प्रकार की चीजों का, फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले, उत्पादन करती थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से सौदागर यही काम किसानों और मजदूरों से हाथ द्वारा करवाते थे। यह पूर्व-औद्योगीकरण की व्यवस्था इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियों लगने से पहले के काल में व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण अंग बनी हुई थी।


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